Sunday 28 October 2007

आओ ये भी देखे हम.....

आज़ादी के साठ बरस में, 
आओ ये भी देखें हम, 
कौन मरा है कौन बचा है, 
आओ ये भी देखें हम. 
शिव-भक्तों ने किया तांडव, 
शबे-रात का मंज़र वो, 
आने-जाने वाले पिटते, 
आओ ये भी देखें हम. 
मनमोहन जब ज़ोर से बोले, 
हाइड सारा फूट गया, 
अब प्रकाश भी करें अँधेरा, 
आओ ये भी देखे हम. 
बेटे पोतों की नादानी, 
किसकी करनी किसको फल ? 
दादा ड्राप पियें हज जायें, 
आओ ये भी देखें हम. 
बम विस्फोटों से दहला है, 
सारे भारत का तन-मन, 
सोता नेताओं का पौरुष, 
आओ ये भी देखें हम. 
राम सेतु पर नेता लड़ते, 
अर्थ, धर्म पर भरी है. 
अपनी संस्कृति ख़ुद ही खोदें, 
आओ ये भी देखें हम. 
घटती मुद्रा की स्फीति, 
मंहगाई भी ऊपर जाए  
बना कचूमर 'आम-आदमी', 
आओ ये भी देखें हम. 
कल तक जो गाली देते थे, 
आज साथ में आए हैं, 
है समाज अब समता मूलक, 
आओ ये भी देखें हम.

थकान

क्यों होगी थकान अब मुझको ,
जीवन ही संगीत बन गया ।
कविता फिर से प्रेम रूप में ,
आई इस एकाकी मन में !!!
नींद खुली तो वंशी की धुन ,
पीत सांझ की मिलती लय में ।
ढलती हैं सूरज की किरने
फिर से उगने के प्रण में !!!
वन-पथ की उदास रातें हैं ,
छाया की फिर से तलाश है ।
चन्दन वन की चंद सुगंधें ,
महक रही हैं अब तन में !!!
पंछी रात समझ घर आये ,
सकुचाये स्वर फिर मुस्काये ।
दिल तो याद किया करता है ,
स्वप्न पुराने ले आंखों में !!!
आंसू सूख बन गए मोती ,
भरी नींद में खुली पलक पर ।
पूजन की ध्वनि पुनः सुनी है ,
दो झाँझर से एक धुन में !!!!