दर्द सीने का अभी, चेहरे पे आ जाता है !
वक्त के साथ हुनर, उसमें भी आ जायेगा !!
जो बस सबकी ख़ुशी, के लिए ही जीता है !
मौत के बाद वही, सबको रुला जायेगा !!
साथ रहने की क़सम, रात दिन जो खाता है !
क्या पता एक रोज़, वो भी बदल जायेगा !!
छिपकर के किसी रोज़, कहीं दांव खेलता है !
जीती बाज़ी कोई वो, फिर से हार जायेगा !
आज वो फिर से मुसीबत में घिरा लगता है !
वाकई कौन सगा है, पता चल जायेगा... !!
मन के भाव पता नहीं कब एक कविता का रूप ले लेते हैं और लहरों की तरह बहते चले जाते हैं....
Wednesday 13 July 2011
Friday 25 March 2011
कोई
किसी ने शाख़ और टहनी को फिर दुरुस्त किया !
ज़मीं पे आज फिर बिखरा है आशियाँ कोई !!
किसी ने सोच समझ बोल कर रिश्ते बदले !
भरे बाज़ार में फिर दिख गया तनहा कोई !!
किसी की आरज़ू और किस की ख़ता के चलते !
बिना गुनाह कहीं बन रहा मुजरिम कोई !!
किसी के हुस्न और किस की अदाओं के सदके !
दिल से मजबूर हुआ दूर दीवाना कोई !!
किसी की प्यास पे हावी हुआ जुनूँ इतना !
भरी बरसात में भी रह गया प्यासा कोई !!
Thursday 27 January 2011
एहसास
एहसास हुआ जैसे वो अपना सा कोई है,
दूर जाते हुए जब उसने पलट कर देखा !!
कोई सबमें भी है फिर भी है तनहा इतना,
चाँद के राज़ को जब पास से जाकर देखा !!
झील सी गहरी हैं फिर भी हैं कितनी भोली,
उनकी आँखों में जब आँखें मिलाकर देखा !!
चुप रहती हैं और चुपके से बोलती कितना,
आँखों से करते हुए उनको जो इशारे देखा !!
दूर जाते हुए जब उसने पलट कर देखा !!
कोई सबमें भी है फिर भी है तनहा इतना,
चाँद के राज़ को जब पास से जाकर देखा !!
झील सी गहरी हैं फिर भी हैं कितनी भोली,
उनकी आँखों में जब आँखें मिलाकर देखा !!
चुप रहती हैं और चुपके से बोलती कितना,
आँखों से करते हुए उनको जो इशारे देखा !!
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