Sunday 15 March 2009

चुनावी दोहे

कल तक जिन नोटों पर, अपना था अधिकार ! 
अब पड़ती हैं उन पर, बस चुनाव की मार !!  
खाते पीते रोज़ थे, अपने राम सुजान !
गोपाला के भजन से, भूखे हैं रमजान !!  
पूडी सब्जी मिल रही, कल तक सबको खूब ! 
लैया चना खिला रहे, गधे खा रहे दूब !!  
माया के कल्याण में, मिश्रा दौडें आज ! 
हाथी के संग्राम में, अमर हो रहे काज !!

Thursday 5 March 2009

चुनाव आए

फिर से आये धूल फांकने नेता अपने
फिर से सेवक बने कभी जो थे बेगाने
नत-मस्तक हो जाये अभी ये प्यारे नेता
जन सेवक बन हैं छिपते ये न्यारे नेता
छिपते ये न्यारे नेता सड़क पर खाक छानते
इक दूजे पे थोक भाव में कीचड़ फेंकें
कांव कांव और टर्र टर्र अब खूब मचाएँ
है चुनाव का समय आज अब पाँव दबाएँ


Monday 2 March 2009

चुनावी चक चक

फिर से घोषित हो गए देखें चुनाव की धार
शोषक शोषित हो गए सुन चुनाव की मार
आज झुके हैं नेता गण जनता का दरबार
चिल्लाकर अब फिर करें अपना खूब प्रचार
अपना खूब प्रचार मचाये हल्ला गुल्ला
सर पे आज उठाये देखो आज मोहल्ला।
है डंडा आयोग का छिप कर शोर मचाओ
और विरोधी के सर पर नाचो और नचाओ