Friday 31 December 2010

साल कोई फिर ऐसा आये...

उगता सूरज, खिलती धरती, नीला अम्बर फिर मुस्काए !
जीवन बने सरल हम सबका,  साल कोई फिर ऐसा आये !!

हार जाएँ अब ये आतंकी, अमन चैन जब पंख पसारे !
हों राहें खुशहाल हमारी,  साल कोई फिर ऐसा आये !!

धरती उगले फिर से सोना, फसल खेत में फिर लहराए !
भूखे पेट कोई न सोये,  साल कोई फिर ऐसा आये !!

भ्रष्टाचार दूर हो जाए, जन मन फिर कर्मठ बन जाए !
नेता सच्चे बने हमारे,  साल कोई फिर ऐसा आये !!

अत्याचार ख़त्म हो सारा, कन्या भ्रूण सभी बच जाएँ !
पुरुष संग चलती हो नारी,  साल कोई फिर ऐसा आये !!

दे पुकार रांझा जब दिल से, हीर दूर से दौड़ी आये !
होने लगे प्यार की बारिश,  साल कोई फिर ऐसा आये !!   

मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

Wednesday 11 August 2010

सावन में पानी ?

क्यों नहीं आख़िर
क्यों नहीं ?
सावन में क्यों नहीं बरसता ?
पानी !!!!

जीवन में सूखे ठूंठों पर,
मुरझाई हुई आशाओं पर.
पथराती हुई आँखों से,
झूठी मुस्कुराहटों तक... 
कहीं कुछ तो ज़रूर है, 
तभी तो नहीं बरसता
सावन में पानी ?

अपनों के रिश्तों से,
परायों के बंधन तक.
सूखती हुई दोस्ती पर
हरियाती हुई दुश्मनी में
कहीं कुछ तो ज़रूर है....
तभी तो नहीं बरसता
सावन में पानी ?

जीवन की गहराई से,
मरने की सच्चाई तक.
सूखते हुए कंठ से और
भूख से बिलबिलाने तक   
कहीं कुछ तो ज़रूर है.....
तभी तो नहीं बरसता
सावन में पानी ?

आँखों के शील से,
कुचली उत्कंठाओं तक.
रूप के सिमटने से, 
मन के मचलने तक
कहीं कुछ तो ज़रूर है....
तभी तो नहीं बरसता
सावन में पानी ?

Friday 21 May 2010

घर जब आती मेरी बिटिया !!

ख़्वाब अधूरे पूरे होते, मन में गीत नए फिर आते !
दिल में क़सक कहीं फिर उठती, घर जब आती मेरी बिटिया  !! !!

नन्हें क़दमों से फिर चलकर, छोटी झाड़ू हाथ में लेकर !
दो चोटी कर पायल पहने, घर जब आती मेरी बिटिया  !!   !!

दुखती माँ की पीठ हमेशा, छोटे हाथों खूब दबाकर !
गुड़ियों को फिर आज सुलाकर, घर जब आती मेरी बिटिया  !!

बढ़ती उम्र फैलते सपने, हर इच्छा का गला घोंटकर !
सकुचाती और खूब सिमटती, घर जब आती मेरी बिटिया  !!!!

पीहर से अब पति के घर तक, काम निरंतर करते करते !
दो दो घर को खूब समेटे,  घर जब आती मेरी बिटिया  !!

फिर दहेज़ के दाह में जलकर, अपना जीवन कहीं लुटाकर !
केवल यादों में ही होकर, घर जब आती मेरी बिटिया  !!

जीवन पल पल दांव लगाकर, सृष्टि नयी रच जाने में !
अपनी बेटी गोद में लेकर, घर जब आती मेरी बिटिया  !!

माँ पापा के बिना अधूरे, उनके बचपन उनके सपने !
सूनी आँखों प्यार खोजते, घर जब आती मेरी बिटिया  !!


मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...

Thursday 11 February 2010

साथ तुम्हारा अच्छा है..

जीवन की सांसे तुमसे हैं,
जीने की राहें तुमसे हैं.
हाथ तुम्हारा साथ हमारे,
साथ तुम्हारा अच्छा है ....

दुर्बल होती श्रम शक्ति में,
मीरा की पवन भक्ति  में .
सब कुछ खींचता पास हमारे,
साथ तुम्हारा अच्छा है...

मन की गांठें खुल जाने में,
नयी ग्रंथि फिर पड़ जाने में.
जीवन मुक्त अभी होने में,
साथ तुम्हारा अच्छा है...

गर्मी में पीपल सी छाया ,
शीतल जल जब फिर से पाया.
मन को ठंडक मिल जाने तक,
साथ तुम्हारा अच्छा है ....

कोई  मिलता है जब फिर से,
दिल डरता है मेरा  फिर से.
फिर से मुसका कर ये कह दूं,
साथ तुम्हारा अच्छा है........