मेरे अजीज़ खास, परेशान बहुत हैं..
उनके करीब होने से बदल जाती है दुनिया,
मेरी जिंदगी के सच से वो अनजान बहुत हैं..
हों राहें कितनी मुश्किल या दुश्वार मंजिलें ,
वो हमसफ़र जो हों तो सब आसान बहुत है..
मैं बच गया हूँ कैसे इन तूफानी राहों में,
ये देख के सब लोग अब हैरान बहुत हैं..
वो और रहे होंगें जिन्हें नाम की थी चाह,
मेरे खुदा के साथ मैं गुमनाम बहुत हूँ...