Monday 26 October 2009

तुमको आते देखा जब...

मौसम में फिर प्यार घुला है,
जीवन में बदला है सब ।
दिल ने फिर अंगडाई ली है
तुमको आते देखा जब।।

हरी घास पर ओस की बूँदें,
बैठी रहती धूप चढ़े तक।
हौले हौले भाप हो गयीं
तुमको आते देखा जब॥

इंतज़ार में अब तक तेरे,
घना कुहासा बढ़ता है।
सूरज फिर से निकल रहा है
तुमको आते देखा जब॥

थमी थमी सी बोझिल शामें
रुक रुक कर खामोश हुयीं।
जीवन चलने लगा नसों में
तुमको आते देखा जब॥

नर्म हथेली की गुन-गुन में,
धीमी आंच निरंतर रहती।
माथे पर उगती कुछ बूँदें
तुमको आते देखा जब॥

देख ऊंचाई चट्टानों की
फौलादी फिर हुए हौसले।
मन ने फिर संकल्प लिया है
तुमको आते देखा जब....

No comments: