Wednesday 13 July 2011

दुनियादारी

दर्द सीने का अभी, चेहरे पे आ जाता है !
वक्त के साथ हुनर, उसमें भी आ जायेगा !!

जो बस सबकी ख़ुशी, के लिए ही जीता है !
मौत के बाद वही, सबको रुला जायेगा !!

साथ रहने की क़सम, रात दिन जो खाता है !
क्या पता एक रोज़, वो भी बदल जायेगा  !!

छिपकर के किसी रोज़, कहीं दांव खेलता है !
जीती बाज़ी कोई वो, फिर से हार जायेगा !

आज वो फिर से मुसीबत में घिरा लगता है !
वाकई कौन सगा है,  पता चल जायेगा... !!

3 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत खूब !!

कविता रावत said...

आज वो फिर से मुसीबत में घिरा लगता है !
वाकई कौन सगा है, पता चल जायेगा... !!
..sach musibat hi pata chalta hai kaun kitna saga hai.. bahut badiya prastuti..
shubhkamnayen!

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर!