अब पड़ती हैं उन पर, बस चुनाव की मार !!
खाते पीते रोज़ थे, अपने राम सुजान !
गोपाला के भजन से, भूखे हैं रमजान !!
पूडी सब्जी मिल रही, कल तक सबको खूब !
लैया चना खिला रहे, गधे खा रहे दूब !!
माया के कल्याण में, मिश्रा दौडें आज !
हाथी के संग्राम में, अमर हो रहे काज !!
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