आओ ना
फिर से मिलकर गायें
जीवन का वो अद्भुद गीत ॥
आओ ना ....
टूटी साँसों में, विषमता की लौ से
जलते प्राणी के मन में
फिर से जोड़ लें जीवन संगीत
आओ ना ........
बिखरते आसमान से टपकती
किसी व्यक्ति की आशाएं,
झोली में समेट लौटा दें उसे
आओ ना ......
दूर देश गए बेटे की ख़बर
एक झोंका बन कर आज
उसकी माँ तक पहुँचा दें
आओ ना....
सपने देख कर उन्हें
टूटने से पहले ही सहेज कर
सच कर देने को अब
आओ ना....
देश को डस रहे विषधरों से
बचाने सब लोगों को आज
अमृत पान कराने को अब तो
आओ ना....
1 comment:
आपके विचारो व भावो को प्रणाम ...
काश हर किसी के भाव के भाव यूँ ही होते तो, न ही सरहदें होती न खंडित मानवता के काले पन्ने ....
स्वागत है ... आगे भी अपनी कविताएँ लिखते रहे ...
कभी हमारे ब्लॉग www.nayekhat.blogspot.com पर नज़र डालें और अपने comments से मार्गदर्शन करें .
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