मन के भाव पता नहीं कब एक कविता का रूप ले लेते हैं और लहरों की तरह बहते चले जाते हैं....
Saturday, 29 August 2009
१०० दिन का काम
गाँवों में अब हो रहा १०० दिन का व्यापार, नेता बाबू लूटते जनता की सरकार ॥ मीरा जी ने कह दिया हो चाहे तकरार, हर सांसद को चाहिए १०० दिन का रोज़गार।। १०० दिन का रोज़गार मचाएं जितना हल्ला, खाने को तो मिले मलाई और रसगुल्ला ।।
No comments:
Post a Comment