हर कोई बैठा जगत में धर्म का खाता खोल
तेरे मन में क्या है बन्दे तू भी तो कुछ बोल
तू भी तो कुछ बोल बदलना तुझको भी है ?
तेरे धर्म में मिलता तुझको ठौर नहीं है ?
लव जिहाद या घर को वापस तू भी हो ले
फिर मत कहना पड़ा नहीं कुछ तेरे पल्ले ।।
तेरे मन में क्या है बन्दे तू भी तो कुछ बोल
तू भी तो कुछ बोल बदलना तुझको भी है ?
तेरे धर्म में मिलता तुझको ठौर नहीं है ?
लव जिहाद या घर को वापस तू भी हो ले
फिर मत कहना पड़ा नहीं कुछ तेरे पल्ले ।।
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