मेरे अजीज़ खास, परेशान बहुत हैं..
उनके करीब होने से बदल जाती है दुनिया,
मेरी जिंदगी के सच से वो अनजान बहुत हैं..
हों राहें कितनी मुश्किल या दुश्वार मंजिलें ,
वो हमसफ़र जो हों तो सब आसान बहुत है..
मैं बच गया हूँ कैसे इन तूफानी राहों में,
ये देख के सब लोग अब हैरान बहुत हैं..
वो और रहे होंगें जिन्हें नाम की थी चाह,
मेरे खुदा के साथ मैं गुमनाम बहुत हूँ...
4 comments:
बहुत सुंदर रचना है
hum dhundte hai jinko
vo sapno ke hamrah rahe
besak mile na manjil
par manjilo ki talash h
mera karva to rahe
Dr Deepak Dhama
Khekra Baghpat-NCR
9412549368
9411959400
इंसान बन और इंसान को पहचान
जीवन है कम कर ले कुछ काम
जिन्दगी है क्या की पानी का एक बुलबुला
फिर क्यों तेरा मेरा कर रहा है इंसान
डॉ दीपक धामा
खेकडा बागपत-NCR
9412549368
nidhiclinic@gmail.com
इंसान बन और इंसान को पहचान
जीवन है कम कर ले कुछ काम
जिन्दगी है क्या की पानी का एक बुलबुला
फिर क्यों तेरा मेरा कर रहा है इंसान
डॉ दीपक धामा
खेकडा बागपत-NCR
9412549368
nidhiclinic@gmail.com
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