दुविधा में,
आम जन-मानस
त्रस्त है,
आतंक के ख़ूनी खेल से,
मुंबई की नेता नगरी फँसी है
कुर्सी की रेलमपेल में.
शर्म तो आती नहीं इन्हें
क्योंकि ये नेता हैं
और नेता होने का पहला गुण
तो बेशर्मी से ही निखरता है.
देश ने फिर से एक मुख्यमंत्री बदला इस बार भी बात गई तो
आलाकमान तक
पर वहां से भी नहीं हुआ
और वह बन गया
टालाकमान.....
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