Thursday, 8 January 2009

ये नेता

जान गवां कर लाठी खाकर
देश किया आजाद जिन्होंने 
आज वही फिर बने निशाना 
रोते नेता आज अभी तक  
आगे बढ़कर उनको कोसें 
बातों में अब क्या है दम  
है समाज अब समता मूलक  
कोई किसी से कैसे कम ?

1 comment:

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

जो सपने देखे थे हमने
सिस्टम उनको निगल गया है.
ब्रिटिश कूटनीति से निकला
उनका मतलब निकल गया है.

आशुतोष प्रलयंकर बनकर
इस सिस्टम को धूल चटाओ
संविधान समेत डुबोदो
भारत फ़िर जग में चमकाओ.

आओ मिलकर करें चेष्टा
प्रभु निश्चित ही यही चाहते
चीर इन्डिया भारत उभरे
जन-गण-मन नित ही उचारते.