Friday, 6 February 2009

अस्पताल..खुलेगा

एक और अस्पताल बनेगा
पर गरीब तो बिना इलाज ही
बिना चिकित्सक
तन्हाई में ही मरेगा।
राशन के तेल से तो जल
कर मर नहीं सकता
क्योंकि वो उसकी पहुँच से
बाहर है।
और चुनाव के अलावा उसने
आज तक नेता नामक
प्राणी नहीं देखा।
चाहे जिस दल की सरकार हो
उसके सरकार तो गाँव के ही हैं
माई बाप और भगवान् सब
वही तो हैं..
उसके लिए तो यह ख़बर
भी नहीं है कि कोई
उसके लिए ही यह
बना रहा है॥
फिर भी किसी को तो लाभ
मिलेगा
कोई तो कमीशन खा सकेगा
अस्पताल के निर्माण में
चिकित्सकों की नियुक्ति में
दवाओं की खरीद में और फर्जी
परिवार नियोजन में।
चलो फिर भी एक अस्पताल तो
खुल ही रहा है
किसी का पेट तो भरेगा
चाहे किसी नेता का ही
सही.

1 comment:

shailendra mishra said...

very nice how u developed this art.
why u didnt tell us about this any way keep it up.