मन के भाव पता नहीं कब एक कविता का रूप ले लेते हैं और लहरों की तरह बहते चले जाते हैं....
Wednesday, 25 February 2009
सुखराम या रामसुख
कल तक गद्दे में थे नोट आज लगी है दिल पे चोट नेता उसको कहते हैं जो बेशर्मी से मांगे वोट। दुःख में नींद नहीं आएगी जेल में सांसे फूल जाएँगी राम राम अब जप कर काटें सुख को जाना होगा भूल...
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