Tuesday, 17 February 2009

बिगड़ी फिजां

खुल के बोली फिजां चाँद पर कीचड़ फेंका,
भागे हैं अब चन्द्र छोड़ के आज मेनका.
उल्टा होता दांव लगाया था जो चौका,
नियति ने अब बना दिया है ख़ुद को छक्का.
लगी ७६ दफा बेचारे किससे रोएँ,
पापी प्रेम के साथ आज फिर तनहा रोएँ.

1 comment:

Anonymous said...

pothi pad pad jug mua,gyani hua na koi,
Dhai akhar prem ka pade so chand-fiza hoi...!!!