Sunday, 5 August 2007

मेंहदी रचे हाथ....

ख़ुद खूब सोच लो अभी इल्जाम से पहले,  
कातिल नहीं हो सकते कभी मेंहदी रचे हाथ  
वो पहली बार हमसे छिपा रहे थे कोई शै,  
किए हाथ सामने तो दिखे मेंहदी रचे हाथ. 
लो ख़ुद ही देख लो यहाँ तुम अपने प्यार को,  
मुझको दिखा के कह गए वो मेंहदी रचे हाथ. 
मेरे प्यार की हिना तो खूब रंग लायी है, 
एहसास हुआ देख कर वो मेंहदी रचे हाथ. 
हम कबसे थे बेताब उसी प्यारी झलक के, 
मुझको वहां तक ले गए वो मेंहदी रचे हाथ. 
आपस में लड़ने वालों ज़रा तुम भी देख लो, 
हैं प्यार की बरसात से ये मेंहदी रचे हाथ.

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